पहली नज़र में तो ये दोनों एक जैसे ही लगते है पर इन दोनों शब्दो में ज़मीन आसमान का फर्क है। हा, दोनों ही शब्द थोड़े बहुत भावनाओ में एक जैसे है पर फिर भी दोनों का अपना एक महत्व है। पहला तो यही की मोटिवेशन आता है कुछ पाने के लिए या कुछ कर दिखाने के लिए जहाँ आध्यात्मिक विचारधारा कुछ पाने को नहीं अपितु जिसे छोड़ा नहीं जा सकता उससे जुड़ने की बात करती है। हमने योग का नाम सुना ही होगा पर क्या आपको पता है योग का मतलब क्या है? योग का सही अनुवाद ही है जुड़ना पर किसे ? जिसको छोड़ा नहीं जा सकता यानि खुद से या ये भी कह सकते है की परमात्मा से क्यों की आध्यात्मिक विचारधारा का यही मानना है की हम परमात्मा से या खुद से अलग नहीं है पर कुछ पाने की दौड़ ही हमें उनसे अलग कर देती है तो दोनों के हेतु ही अलग अलग हो गए. मोटिवेशन हमेशा नहीं रह सकता अगर आप कुछ सुन के या कुछ देख, या पढ़ के मोटीवेट हो भी गए तो वो ज़्यादा समय तक नहीं टिक सकता। हा, मोटिवेशन जल्दी आ जाता है कही पे कुछ पढ़ लिया या सुन लिया मन कुछ कर दिखाने को उत्सुक हो जाता है। पर आध्यात्मिकता में इसे बिलकुल विरीत विपरीत स्थिति है यहाँ पर ज्ञान या सच्ची भक्त