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आधुनिक शिक्षण व्यवस्था और गुरुकुल व्यवस्था में क्या अंतर है ?

एक समय था जब भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था। सब लोग कार्य में भी कुशल और बुद्धि में भी कुशल थे शायद भारत ही एक ऐसा देश था जहा पे कार्य और बुद्धि दोनों की  कुशलता का समन्वय होता था क्यों की आमतौर पर देखा जाता है जहाँ पर कार्य की कुशलता हो वह बुद्धि की कुशलता नहीं होती और जहा बुद्धि की कुशलता हो वहा कार्य में कुशलता नहीं होती। भारत में इस का समन्वय क्यों हुआ था जवाब सिर्फ एक ही है उस वक़्त की शिक्षा व्यवस्था यानि गुरुकुल। आज हम चर्चा करेंगे की क्यों आधुनिक शिक्षण व्यवस्था युवा को सक्षम बनाने में विफल रही है और इस बारे में भी चर्चा करेंगे की कैसे हम अपनी गुरुकुल की कई बातो को लागु कर के  इस विफलता को सुधार सकते है। आज भारत देश के पास कई समस्याए है ग़रीबी ,बेरोज़गारी , जिसको दूर करने के कई प्रयास हुए है और हो रहे है पर  क्या हम सफल हुए है ? भारत में हर  100 मे से 65 लोग युवा है वो जो देश को आगे बढ़ाने की शक्ति रखते  है पर फिर भी आज भारत देश इसका सदुपयोग नहीं कर पाया क्योंकी युवा तो है पर skilled नहीं है ऐसा नहीं है की पढ़े नहीं है पढ़े लिखे भी unskilled युवा भारत में दिख जायेंगे। खुल के बोलू तो

आशाराम बापू का आश्चर्य कर देने वाला सच

  ३१ अगस्त २०१३ एक संत जिस पर आज तक कोई रेप का आरोप नहीं लगा था ७३ वर्ष की उम्र में दो संगीन आरोप लगते है और उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। न्यूज़ चैनल्स हमेशा trp के भूखे रहते है और आज तो एक हिन्दू संत जिनके लाखो शिष्य है उन पर केस लगा है फायदा कैसे न उठाये बिना कोई तथ्य दिखाए एक narrative चलाया गया। आशाराम बापू एक बलात्कारी संत है जिसने २ नाबालिक लड़की पर रेप किया।  कश्मीर फाइल्स देखी है उसमे एक लड़का है जो सत्य क्या है उसमे फसा है परिवार वाले कुछ और कहते है और दुनिया वाले कुछ और तो सत्य किसे माने ? आशाराम बापू के साथ न्याय हो रहा हे या अन्याय ? अगर अन्याय है तो क्यों उन्हें फसाया जा रहा है ? जब कोई शिविर होती थी तो देखता था कई साधक रोते हे की हमारे गुरु को फसाया गया है उनमे लड़किया भी थी और गुरुकुल में पढ़ने वाली छात्राएँ भी ! अगर गुरुकुल में वो सब चलता तो क्यों अभी भी यहाँ लड़किया पढ़ रही है ? तो सत्य क्या है इनके आसु या मीडिया का narrative  ? जब भी आशाराम बापू की बात मीडिया में छिड़ते है  उन्हें एक repist की तरह दिखाया जाता रहा है सब के मन में ये बिठाने की जी जान कोशिश होती है की बिना क