एक लड़के ने कबीर सिंघ मूवी देखी उसे वो मूवी इतनी पसंद आयी की उसने वो मूवी १० बार देख ली नॉर्मल लग रहा है नई ? पर क्या तुम जानते हो की उसकी ये पसंद का उसके मन पर क्या असर होगा? आगे चल कर वो लड़का दारू पीना, अपने माँ बाप से गुस्से में बात करने को बड़ा कूल मानेगा पता है क्यों क्यों की हमारा मन ऐसे ही काम करता है
जैसा की हमने ऊपर दिए गए उदहारण से देखा मन हमें जो भी पसंद आता है उस पर अपना दृष्टिकोण बना देता है, में ये नहीं कह रहा हु की कोई मूवी देखने से कोई उस प्रकार का वर्तन करने ही लगेगा पर उसका उस के मन पर गहरा असर पड़ता है जैसा की आज कल सब सुपरहीरो मूवी बहुत देखते है उसमे से हर कोई छत पर से नहीं कूदता पर हर कोई अपने को सुपरहीरो की तरह बनाना चाहता है
और हमारी पसंद हमें दुसरो से अलग बनाती है २ लोगो मेसे अगर एक को खेलना पसंद है और दूसरे को गुमना तो दोनों की विचारो में बहुत सा फर्क हम देख सकते है हमारी पसंद हमें ज़िंदगी की बहुत सारी सीख भी देती है
अब हम देख सकते है की हमारी पसंद का हमारे पर, हमारे व्यक्तित्व पर और हमारे मन पर क्या असर डालता है क्या ये ज़रूरी नहीं है की हम इस बारे सोचे ? अभी ही कबीर सिंह का उदाहरण देखा अब सोचिये एक ऐसा इंसान जिसको क्राइम शोज देखना पसंद है उसमे ये ज़रूरी नहीं की वो क्रिमिनल बन जाये पर उस सब का उसके मन पर क्या कोई असर नहीं होगा ?
हा हमारी पसंदगी आसानी से बदलनी नहीं जाती पर क्या हम उसके जो नेगेटिव इफ़ेक्ट है उसे बचने के बारे में नहीं बढ़ सकते ?
तो आज की लिए इतना ही फिर मिलते है
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