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भगवान ने सृष्टि की रचना कैसे की ? (HOW WORLD IS CREATED)

  सृष्टि की रचाना  कैसे हुई इस पर कई सारी धारणाए है। हमने पाश्चात्य विचारधारा के अनुसार बिग बैंग धारणा के बारे में सुना है अलग अलग पंथ  की अलग अलग धारणाए है ज़्यादातर पंथ यही मानते है की ईश्वर ने रचना की और विज्ञान इसके बिलकुल विपरीत जाता है खैर , दोनों ही विचारधारा की अपनी अपनी सीमाएं है विज्ञान हो सकता है ये साबित करके दिखाए की सृष्टि की रचना ख़ुद हुई पर इसका जवाब  विज्ञान के पास भी नहीं है की मानव में चेतनता किसने भरी या क्यों सृष्टि में मरण और जीवन का अस्तित्व है। पर भारतीय विचारकों ने ये जवाब बिलकुल तार्किक रूप से जाना और समझाया है।  तो हमारे ऋषि थे बहुत जज्ञासु कोई प्रश्न उत्पन्न  होता तो उसका जवाब  बिना नहीं रहते उसमे ये प्रश्न हुआ की ये सृष्टि की रचना कैसे हुई ? ये मान लेना की ऐसे ही सूर्य, अपनी जगह चंद्र ,अपनी जगह स्थित हो गए तो ये बात बहुत विचित्र सी है इसमें कोई संदेह है की कोई तत्त्व है जिसने इस सृष्टि को जन्म दिया है , जैसे हमें कोई जन्म देने वाला है वैसे ही इस सृष्टि को भी कोई न कोई जन्म देने वाला होगा ही इसी सी कई विचारधारए या विकल्प खोज निकाले  जिस पर आज हम चर्चा करेंगे। 

गुरु पूर्णिमा - महत्व और इतिहास

हिन्दू कलैण्डर में आषाढ़ में आने वाली पूनम को गुरु पूर्णिमा कहते है जो इस साल १३ जुलाई पे है ।  इस दिन जन्म हुआ था कृष्णा द्वैपायन यानि व्यास जी का जिन्होंने महाभारत लिखी थी।  आज हम जानेंगे उनके बारे में और इतिहास में गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे में।  वेद व्यास जी का मूल नाम कृष्णा द्वैपायन था। व्यास का मतलब है वितरित करना , अलग करना आदि और वेद का मतलब जो हमारे चार वेद है , कृष्णा द्वैपायन जी ने जब हमारे वेदों को चार भाग में वितरित या अलग किया तब से उन्हें हम वेद व्यास के नाम से जानते  है। वेद व्यास जी त्रिकालदर्शी थे महाभारत में वे कई बार धृतराष्ट्र को , दुर्योधन को को सचेत करते दीखते है की जो तुम अभी कर रहे हो भविष्य में ये तुम्हारे लिए काल का कारण बनेगा। इतना ही नहीं जब महाभारत का युद्ध हो रहा था तब व्यास जी ने ही संजय जी को दिव्य चक्षु (आंख) प्रदान किया था जिसे वो युद्ध में जो भी हो रहा है वो देख के धृतराष्ट्र को बता सके। व्यास जी न सिर्फ वेदों को चार भाग में वितरित किया अपितु जो हमारे १८ पुराण है वो भी उन्होंने ही वितरित किये थे। एक ऋषि जो त्रिकालदर्शी,कवि ,ब्रह्मज्ञानी,तत्वदर्श