३१ अगस्त २०१३ एक संत जिस पर आज तक कोई रेप का आरोप नहीं लगा था ७३ वर्ष की उम्र में दो संगीन आरोप लगते है और उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। न्यूज़ चैनल्स हमेशा trp के भूखे रहते है और आज तो एक हिन्दू संत जिनके लाखो शिष्य है उन पर केस लगा है फायदा कैसे न उठाये बिना कोई तथ्य दिखाए एक narrative चलाया गया। आशाराम बापू एक बलात्कारी संत है जिसने २ नाबालिक लड़की पर रेप किया।
कश्मीर फाइल्स देखी है उसमे एक लड़का है जो सत्य क्या है उसमे फसा है परिवार वाले कुछ और कहते है और दुनिया वाले कुछ और तो सत्य किसे माने ? आशाराम बापू के साथ न्याय हो रहा हे या अन्याय ? अगर अन्याय है तो क्यों उन्हें फसाया जा रहा है ? जब कोई शिविर होती थी तो देखता था कई साधक रोते हे की हमारे गुरु को फसाया गया है उनमे लड़किया भी थी और गुरुकुल में पढ़ने वाली छात्राएँ भी ! अगर गुरुकुल में वो सब चलता तो क्यों अभी भी यहाँ लड़किया पढ़ रही है ? तो सत्य क्या है इनके आसु या मीडिया का narrative ?
खेर सत्य को छुपाना अपराध है ही पर जुठ भी दिखाया गया किसी किसी चैनल को तो CD भी मिल जाती थी। तो भाई police को क्यों नहीं दे देते ? कई लोगो को लगेगा अगर ये सब सबूत है फिर भी वो जेल के अंदर क्यों है ? २०१२ में १८ साल से छोटे बच्चे बच्चियों को योन शोषण से बचाने के लिए posco act बनाया गया , जिसमे जब तक बचाव पक्ष खुद को निर्दोष साबित नहीं करता तब तक आरोपी को दोषी माना जाता है और लड़की के बयान को ही सत्य माना जाता है जब तक कोई ठोस सबूत नहीं होता , दुःख की बात है की रक्षा के लिए बनाये गए कानून का उपयोग कर के निर्दोष को फसाया जाता है। और जिस राजनेताओं और फिल्मकारों पे इसे भी संगीन आरोप लगे है फिर भी पब्लिक उन्हें हीरो मानती है।
अब सवाल ये उठता है की उन्हें कोई फसायेगा क्यों ?
इसमें कोई सक शक नहीं की भारतीय संस्कृति को तोड़ने की लिए हज़ारो वर्ष से कोशिश चलती रही है आज वो लोग कुछ अंश तक सफल हुए क्यों की गृरकुल व्यवस्था टूट गई जब संस्कृति के बारे में पढ़ेंगे नहीं तो जानेंगे कैसे ? और अगर जानेंगे नहीं तो संस्कृति बचेगी कैसे ? अगर किसी वजह से ये संस्कृति बची है तो वो है साधु संतो की वजह से। अब बस लोगों के मन में साधु संतो को बिच अश्रद्धा पैदा करनी है, अगर ये हो गया तो ? संस्कृति का मतलब सिर्फ तिलक लगाने और नारे लगाने तक ही सिमित रह जायेगा । आज के लोग मन ने भी लगे है की हमें कोई संत या गुरु की जरूर नहीं खुद भी तो सब पढ़ के संस्कृति को जान सकते है। तो पढ़ो ना ? ऐसा बोल ने वाले ने कभी कोई ग्रंथ खोला भी नहीं होता अगर खुलेंगे तो बस १५ मिनिट में साइड में रख देंगे।
आज कोई हिन्दू संतो की बात आती तो बुद्धिजीवी फाटक से आशाराम बापू का उदाहरण दे के बोलेगा संत तो repist होते है। और सभी संतो में आश्रम बापू Easy टारगेट है क्यों की नर हो नारी उनके पास कोई भी जा सकता था कई महिलाएँ समर्पित है आश्रम में जिनके लिए अलग से नारी उत्थान आश्रम आज भी अहमदबाद में है। खेर इसे भी बड़े कारण है जब कोई धर्मांतरण के खिलाफ नहीं बोल था तब से उन्होंने आदिवासी विस्तार में जाकर लोगो को अपने धर्म में जागरूक किया और लाखो की संख्या में घरवापसी करवाई और मातृ पितृ पूजन दिवस (वर्ष 2006 ) , तुलसी पूजन दिवस (वर्ष 2013 )जैसे त्यौहार देके पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित लोगो को अपनी संस्कृति में जोड़ा।
आज भी याद है जब भी कोई शिविर होती थी तो लाखो की भीड़ में साधक आते थे और उनके सत्संग को सुन के अपना जीवन विकास करते , ऐसा नहीं था की वह सब मुफ्त की रोटी खाने जाते थे , खाने के रहने के पैसे दे कर रहते थे गुरुदेव का मानना है की मुफ्त की साधना बरकत नहीं दे सकती और आज भी जब शिविर होती है भरी संख्या में साधक आते है न कोई बड़े मंदिर होते है न कोई मनोरंजन के लिए प्रदर्शन बस साधना ,संस्कृति के विचार और ईश्वरप्राप्ति का लक्ष्य दिया जाता है। कोई साधक मान के को तैयार नहीं है और न होगा की उनके गुरु ऐसा काम करेंगे।
- लड़की ऍफ़.आई.आर में लिखवाती है गुरुकुल मे से रोज गाड़ी भर की कुटिआ में लड़कियों को ले जाया जाता और उन सब का rape किया जाता तो किसे सत्य मानोगे ? उस बयान या आश्रम में रोती उन छात्राओं के आशु को जो कहते है की उनके गुरु को फसाया गया ? क्या पुरे गुरुकुल में वही एक साहसी लड़की थी जिसने आवाज उठाई और अगर ऐसा है तो बाकी सारी छात्राओं को किसने रोक के रखा है ?
- ऍफ़.आई.आर में rape का जिक्र तक नहीं है और तो और मेडिकल रिपोर्ट में पाया गया की लड़की virgin शरीर पर कोई खरोच तक नहीं है तो आशाराम बापू repist कैसे हो गए ?
- आशाराम बापू को मानने वाले साधकों को brainwashed बोला जाता है , ऐसा तो है ही नहीं की उन्होंने कभी न्यूज़ चैनल देखी ही नहीं , इतना कुप्रचार के बावजूद उन्हें मान ते है , एक और कई लोग ऐसे है जो न्यूज़ पर ही निर्भर है और जिन्होंने कभी न तो कभी आश्रम देखा न कभी उनका सत्संग सुना , तो सही या ग़लत कौन अच्छे से देख सकता है ? brainwashed कौन है ?
- समाज में अच्छा दिखना सबको पसन्द है , लोग किसी पंथ या संप्रदाय को भी इस लिए मानते है और जुड़े रहते है की समाज में अच्छे दिखे पर यहाँ पर जब आशाराम बापू ले साधक की आती है तो ? हो सकता है की लोग मज़ाक भी उड़ाए , फिर भी मानते है उन्हें क्यों ? क्यों जनसाधरण के मन ये सवाल नहीं उठता ?
- एक संत जिस पे जवानी में कोई आरोप नहीं लगे अपितु उनके विचार सुनके इतने लोग प्रभावित हो गए थे की उनके शिविर में लगे तंबू भी छोटे पड़ते थे जिनके विचारो से लाखो लोगो के जीवन बदले वे ७३ वर्ष की वृद्ध उम्र में ऐसा कृत्य कैसे करेंगे ?
- कल अगर उन्हें निर्दोष छोड़ भी दे तो भी ये मीडिया सरकार और न्यायतंत्र पर सवाल उठाएगी की लड़की को न्याय नहीं मिला और दबाव बनाएगी। पर सभी साधकों का न्यायतंत्र पर भरोसा है और रहेगा की उनके गुरु को न्याय मिलेगा।
- आशाराम बापू का कोई शिष्य भी ऐसी हरकत करने का सोच ही नहीं सकता क्यों की उनके गुरु ने हमेशा से ब्रह्मचर्य का महत्व समझाया है तो उनके गुरु का ऐसा कृत्य करने का तो सवाल ही नहीं उठता।
- खेर मेरे इतने तथ्य बताने पर भी यकीन न हो तो खुद आश्रम में जाओ और जा के वहां चल रहे उनके पुराने सत्संग को सुनो आप खुद ही वो जैसे है वैसे देख पाओगे तब पता चलेगा की जैसे छवी मीडिया द्वारा बनायीं गई और जो आपके सामने है उसमे ज़मीन आसमान का फर्क है।
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